एकलव्य के वंसज ही इस देश के असली मालिक हैं, बाकी सब आर्य और आव्रजकों की संतानें हैं: सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया
*एकलव्य निषाद* थे!!
*दुनिया* की *सभी सभ्यताएं* *नदियों* के *किनारे* से ही *प्रारंभ* हुईं!!
*सिंधु घाटी* की *सभ्यता* के समय,
*निषाद तीन प्रकार से जीवन यापन करने लगे थे*:
1. *कोल* : नदी किनारे रहते हुए नदी में नाव चलना, नदी तल में खेती करना और मत्स्य आखेट जैसे आदि कार्य करने वाले लोगों को कोल (संस्कृत में पानी को कोल भी कहा गया है) कोल वंसज ही आज के केवट, मल्लाह, माझी, मझवार, धीवर हैं)।
2. *किरात* : नदी तल से हटकर, जंगल काटकर खेती करने वाले लोग किरात हैं।
3. *भील* : पूर्व की भाँति, सभ्यता से बचकर, जंगल में ही रहते हुए, आखेट आदि के सहारे जीवन यापन करने वाले भील कहलाये।
महाभारत काल में एकलव्य को निषाद पुत्र के साथ - साथ, भील भी कहा गया है!! मतलब साफ है *निषाद* जो भारत के असली मालिक हैं, वे आज नाव भी चलाते हैं, खेती भी करते हैं और जंगली जीवन भी जीते हैं। लेकिन विदेशी आर्य और हूण, कुषाण, मंगोल, मुगल, डच, फ़्रेंच, अंग्रेजों के आने के बाद इस देश पर जब विदेशी लोगों ने सत्ता के साथ, धन और भूमि पर भी कब्जा कर लिया तो, भारत के असली मालिक निषाद की हज़ारो जातियां आज तैयार हो गई हैं। जिनका जीवन निम्न स्तर पर पहुंच गया है। क्योंकि निषाद वंश ने दुनिया के सभी भगवानों को स्थापित होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन किसी भगवान ने निषाद वंश का आज तक कोई भला नहीं किया, क्योंकि आज जितने भी भगवान हैं वे एक वर्ग विशेष के धंधे के साधन हैं। इस *धरती पर सबसे बड़ा भगवान सत्ता* है और *भारत में लोकतंत्र होने के कारण, जो समाज सत्ता पर कब्जा* करने में आगे रहेगा, वह *मजबूत* बन जाएगा, लेकिन *जो समाज जातियों, उपजातियों, गोत्रों में बंटा रहेगा वह आज के युग में भी केवल गुलामी ही करेगा !!*
समझदार लोगों के लिए भारत के भारत में ब्राह्मण समाज से शिक्षा लेनी चाहिए और अपने समाज की भी समझाना चाहिए कि ब्राह्मण केवल 3 प्रतिशत ब्राह्मण हैं, लेकिन वे दुबे, मिश्रा, तिवारी, भारद्वाज आदि के लिए कभी भी नहीं लड़ते हैं, लेकिन बुद्धिहीन समाज आज भी भारत में लगभग 25 प्रतिशत है और वो बिंद, केवट, मल्लाह, कश्यप, सहानी, चाई, धुरिया, गोंड़, बेलदार, धीमर धीवर, रायकवार, बाथम, कहार, कश्यप, मेहरा, मछुआ आदि में से कौन श्रेष्ठ है, कौन ऊंच और कौन नीच है, इसी में अपनी कीमती शक्ति का क्षरण कर आने वाली पीढ़ियों का नुकसान कर रहे हैं क्यों कि आज भारत पर *आरएसएस* की *खतरनाक* चाल आपको मनुकाल में ले जाने के लिए हर प्रकार का कार्य कर दिनरात कर रही हैं! ताकि उनकी पीढ़ियां हजारों साल तक मजबूत बनी रहें।
: जसवन्त सिंह निषाद
सम्पादक, स्वामी, प्रकाशक
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