मछुआरे हुए मझवार, तुरैहा, निषाद पार्टी के कार्यकर्ता पदाधिकारियों के संघर्षों का है ये परिणाम

लखनऊ, उत्तर प्रदेश (Lucknow, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) ब्यूरो रिपोर्ट, 29 मार्च 2019। आज एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में उत्तर प्रदेश की राजनीति में जबरदस्त भूचाल आ गया। निषाद पार्टी ने सपा, बसपा और आरएलडी के गठबंधन से बसपा की हठधर्मिता और गठबंधन में उचित सम्मान न मिल पाने व चुनाव में गठबंधन के साथी की जगह सहयोगी दल के रूप में रखे जाने के परिणाम स्वरूप अपने आप को इस गठबंधन से अलग करने का निर्णय लिया।
      निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी ने राष्ट्रीय महा सचिव रमेश केवट जी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ जी से मुलाकात की और निषादों की आरक्षण की समस्या पर विस्तार से विचार विमर्श किया। योगी जी ने निषाद पार्टी की शर्तों की मानकर निषाद आरक्षण को लागू करने और निषाद पार्टी को अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने के लिए सहयोग का भरोसा दिया।
      निषाद पार्टी की मुख्य मांग निषाद वंश की सभी जातियों को आरक्षण का लाभ दिलाना और अपने ही चुनाव चिन्ह पर लड़कर भारत की संसद में पहुंच कर निषावंशियों की समस्याओं की वकालत खुद करने की रही है। इस मांग को पूरा करने में भाजपा अब निषाद पार्टी की सहयोगी बनेगी।
     निषाद पार्टी उत्तर प्रदेश की 3 सीटों पर अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ सकती है, जिसमें 2 सामान्य और एक अनुसूचित जाति की (मझवार के प्रमाण पत्र पर) सीट हो सकती है, इसकी जानकारी भी जल्दी ही मिल जाएगी।
     निषाद पार्टी के अधिकांश कार्यकर्ता सपा, बसपा गठबंधन से पहले ही संतुष्ट नहीं थे। क्योंकि इन दोनों दलों ने ही निषादों का सबसे ज्यादा शोषण किया था। और इसी शोषण और अन्याय व आरक्षण की लड़ाई के लिए ही महामना डॉ. संजय कुमार निषाद जी ने निषाद पार्टी का गठन किया था। और उसकी का परिणाम था कि ये दोनों दल उत्तर प्रदेश की राजनीति के हासिये पर चले गए थे। लेकिन फिर भी निषाद पार्टी के साथ गठबंधन के रूप में एक प्रकार का धोका ही मिल रहा था। लेकिन निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महामना डॉ. संजय कुमार निषाद ने निषादों के आरक्षण और मान सम्मान से कभी भी समझौता नहीं किया और पार्टी के कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों ने हमेशा ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्णय का स्वागत किया।