ज्ञात हो अव्यवस्था क़े चलते 11 अक्टूबर को इसी गांधी घाट पर सात तीर्थयात्रियों की मौत हुई थी। उसकी जिम्मेदारी किसी अधिकारी ने न लेकर गाँधी घाट क़े गरीब निषाद दुकानदारों की दुकानों पर बुलडोजर चलवा कर उन्हें बेरोजगार कर दिया गया। क्या काम करेंगे अब ये गरीब लोग ? क्या यही भाजपा की योगी आदित्यनाथ की सरकार का न्याय है ? किसी अधिकारी, किसी विभाग की कोई जिम्मेदारी नहीं ? बस सीधे गरीबों को बेसहारा, बेरोजगार कर दिया एक छण में ही। सरकार के नुमाइंदों ने इन गरीबों को आज तक कोई रोजगार नहीं दिया और इस आफत से बचने के लिए किसी को भी एक दिन का समय भी नहीं दिया, बस दिखावा करना था, जाँच क़े नाम पर 700 लोगों को एक दिन में ही कर दिया बेरोजगार कर सड़क पर ला दिया।
700 परिवारों को कुछ घंटो में ही बेरोजगार भाजपा की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कर दिया। यह काम आज तक सपा बसपा सरकार भी नहीं कर पाईं थीं, वह भाजपा सरकार ने कर दिया। ये वही निषाद समाज के हिन्दू लोग हैं, जिन्होंने 80 प्रतिशत वोट भाजपा को सरकार बनाने के लिए दिया और आज उनकी सुनन तो दूर, उनकी इस बर्बाद होती स्थिति को देखने, कोई सांसद या विधायक नहीं आया।
गांधी घाट नरोरा स्थिति ये दुकानदार वह निषाद लोग हैं जो गंगा किनारे पर अपनी दुकानें लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे और वहां पर साफ सफाई का ध्यान भी रखते थे समय-समय पर घाटों पर सफाई भी करते रहते थे। जब नहाते समय गंगा में कोई भी डूब कर मरने को होता है तब ये निषाद ही उनको बचाने में अपनी जान की बाज़ी भी लगाते रहते हैं। इनकी वजह से थोड़ी से व्यवस्था खराब जरूर होती हो यह मान भी लिया जाय, लेकिन काफी हद तक ये लोग गंगा मैया के किनारे पर रहते हुए स्वच्छता में भी बहुत सहयोग देते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए, खाली कराए गए स्थान पर व्यवस्थित तरीके से इन लोगों के लिए सड़क से कुछ दूरी बनाकर अस्थाई दुकानों की व्यवस्था कर दी जाए, तो ये लोग और भी अच्छे तरीके से सहयोग करेंगे और गंगा किनारे के घाटों की स्वच्छता ओर रखरखाव में भी सरकार को काफी मदद करते रहेंगे, दुकाने तोड़ना समस्या का समाधान नहीं है, वल्कि उन्हें व्यवस्थित तरीके से बना कर रखना और भी सार्थक साबित होगा।