केवट जाति के व्यक्ति का मझबार का प्रमाणपत्र फ़र्ज़ी माना इलाहाबाद हाईकोर्ट ने

प्रयागराज, उत्तर प्रदेश (Prayagraj, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh) ब्यूरो रिपोर्ट, 29 नवम्बर 2019। केवट जाति के व्यक्ति का मझबार का प्रमाणपत्र फ़र्ज़ी माना इलाहाबाद हाई-कोर्ट ने। प्रयागराज/इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि सक्षम अधिकारी यदि जाति प्रमाण पत्र को फर्जी घोषित कर देता है तो उसके आधार पर प्राप्त नियुक्ति स्वत: शून्य हो जाएगी। इसके लिए यह जरूरी नहीं कि विभागीय जांच कराई जाए।
      प्रयागराज हाई-कोर्ट ने कहा कि ऐसे कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस देकर बर्खास्त किया जाना विधि के विपरीत नहीं है। इसलिए आईआईटी कानपुर द्वारा विभागीय अनुशासनिक जांच कार्यवाही कर याची को बर्खास्त करना नियमों के विपरीत नहीं है। यह आदेश देते हुए न्यायमूर्ति सुनीत मार ने रमाकांत की याचिका को खारिज कर दिया।

       आईटीआई कानपुर की ओर से अधिवक्ता रोहन गुप्ता एवं केद्र सरकार के अधिवक्ता समाजीत सिंह ने याचिका का प्रतिवाद किया। याची आईआईटी कानपुर में बस कंडक्टर नियुक्त किया गया था। उसने यह नियुक्ति स्वयं के अनुसूचित जाति मझबार के प्रमाण पत्र के आधार पर प्राप्त की थी । इसकी शिकायत की गई तो तहसीलदार की जांच के बाद याची को केवट जाति का पाया जो अन्य पिछड़ा वर्ग में आती है। इस पर याची के जाति प्रमाणपत्र को गलत बताते हुए रद्द कर दिया गया और नौकरी चले जाने पर प्रयागराज हाई कोर्ट की भी मुहर लग गई।
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