कौम के रक्षक या ग़द्दार !! "मौलाना साद और डॉ संजय निषाद"

अलीगढ़, उत्तर प्रदेश (Aligarh, Uttar Pradesh), एकलव्य मानव संदेश (Eklavya Manav Sandesh)। कौम के रक्षक या ग़द्दार !! "मौलाना साद और डॉ संजय निषाद"

ये दोनों अपनी कौम को कयामत का डर और खुद की जन्नत रूपी एसोआराम के लिए अपनी पूरी कौम को भारतीयता से अलग रखना चाहते रहें हैं।
मौलाना साद की हरकत से पूरा मुश्लिम वर्ग आज कोरोना के फैलाव गुनहगार की तरह शक की नज़र से देखा जाने लगा है।
उसी तरह 9 महीने पूर्व तक डॉ. संजय निषाद के कारण निषाद वंशीय मछुआ समाज -
"कभी करसवल कांड"
"कभी गोरखपुर गोरखनाथ मंदिर पर कब्जे की बात"
"कभी ग़ाज़ीरपुर कठवामोड कांस्टेबल हत्या के आरोप से आरोपित हो"
"पूरी तरह अन्य समाज तथा सरकार से अलग थलग होने के कगार पर पहुच चुका था!
इस तरह के लोग स्वयं के स्वार्थ के लिए पूरी कौम को गुमराह करके रखते हैं।
समय रहते हमने डॉ. संजय निषाद की लालशा को भाँप लिया।
जिस गोरखपुर गोरखनाथ मठ को जनाब समाज को बरगला कर कब्जा कराने के लिए आंदोलन करते फिरते थे, आज उसी मठ के मुखिया जी के चरण धुलाई के लिए सुबह शाम लालायित रहते हैं।
जिस अधिकार के लिए कभी सपा सरकार, कभी भाजपा सरकार से समाज को लड़वाते रहते थे!! पहले सपा की गोद में बेटे संग बैठे गए थे।
अब भाजपा के साथ समाज के सभी अधिकारों के बदले, सौदा कर रसगुल्ले चूशने के बदले चबा चबा कर गटक रहें हैं।
मेरा मेरा तात्यपर्य है कि मुस्लिम भाई लोग मौलाना साद जैसे लोगों से बचते हुए भारतीयता को स्वीकार कर अपने मुल्क, अपने बच्चों, अपनी कौम के लिए नायक बनिये।
-Mahendra Nishad MN की फेसबुक वॉल से लिया गया है