पटना, बिहार, 7 सितम्बर 2020। मैंने माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तथ्यों के आधार पर आज सुबह कुछ तार्किक सवाल किए थे और आशा थी कि वो जवाब देंगे लेकिन उन्होंने किसी सवाल का कोई तार्किक जवाब नहीं दिया।
कोरोना संक्रमण पर अब 6 महीने बाद भी मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि हम यह मशीन लाएँगे, वो लायेंगे। ख़ाली एंटीजिन टैस्ट के फ़र्ज़ी आँकड़ो के सहारे लोगों को गुमराह कर रहे हैं। प्रतिदिन 1 लाख अरटी-पीसी टेस्ट क्यों नहीं हो रहे?
सीएम कह रहे है क्वारांटाइन सेंटर में प्रति व्यक्ति 5000 रुपया खर्च किया। मुख्यमंत्री ऐसे 100 लोग बिहार से ढूँढकर दिखा दें जो यह कहे कि उनपर इतना खर्च हुआ? सारा पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।
जो मुख्यमंत्री 140 दिन अपने घर से बाहर नहीं निकले उसे कोई ज़मीनी जानकारी नहीं हो सकती। ए.सी. कमरों में बैठे जो कुछ अधिकारियों ने लिखकर दे दिया वो मुख्यमंत्री ने बिना पड़ताल किए पढ़ दिया।
मैं मुख्यमंत्री जी से बेरोज़गारी पर लगातार सवाल कर रहा हूँ। रोजगार पर बोलते समय मुख्यमंत्री हकला रहे थे। झूठ का पहाड़ खड़ा कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने बताया कि 14 करोड़ मानव दिवस का सृजन किया? और औसतन प्रतिदिन 10 लाख लोगों को काम मिल रहा है।
मैं मुख्यमंत्री को चुनौती देता हूँ कि वो बताए किन 10 लाख लोगों को प्रतिदिन काम मिल रहा है। उनके स्किल टेस्ट के साथ सूची सार्वजनिक करें। मुख्यमंत्री मानव दिवस नहीं यह बताए कितने मानवों को काम मिला। यह शब्दों की बाज़ीगरी नहीं चलेगी?
नीतीश कुमार जी पर उम्र का असर दिख रहा है। वो 20 वर्ष पूर्व कोर्ट की टिप्पणी का ज़िक्र कर रहे थे लेकिन अभी एक वर्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सरकार मुज़फ़्फ़रपुर बालिका गृह कांड को लेकर क्या-क्या कहा था, वह भुल गए। बढ़ती उम्र के कारण शायद उन्हें याद नहीं रहा तो बता दूँ कोर्ट ने इन्हें अमानवीय, अमर्यादित, अशोभनीय, शर्मनाक और डरावना तक कहा था।
नीतीश कुमार 30 वर्ष पूर्व के बासी पन्नों की सुगंध ले रहे थे। आज के राक्षसराज में जंगलराज की बात कर रहे थे। आधे से ज़्यादा उनके नेता उसी जंगलराज के समय हैं। अब भी उन जंगलराज वालों के लिए माला लेकर लपलपाते रहते हैं। अगर हमारा 15 वर्ष का जंगलराज था तो क्यों 2015 में हाथ-गोड़ जोड़कर गठबंधन करने आए थे? यह दोहरा चरित्र क्यों?
मुख्यमंत्री कहते हैं कि कुछ लोग बिहार को बदनाम करते हैं? आपसे ज़्यादा किसने बदनाम और बर्बाद किया? आपने तो बिहार को बदनाम करने के लिए फ़िल्में बनवाईं? उन फ़िल्म वालों को उपकृत करते हुए चुनाव लड़वाया। आप आइना देखिए।
मुख्यमंत्री कहते हैं लोग बिना ज्ञान बोलते हैं। मैं उन्हें खुली चुनौती देता हूँ कि वो जब चाहे, जहाँ चाहे, जितनी देर चाहे , आँकड़ो और तथ्यों के आधार पर मुझसे बहस कर ले। मैं उन्हीं की सरकार और एजेंसियों के आंकड़ों और रिपोर्ट के आधार पर बहस करूँगा। आइए करिए डिबेट..
मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को वर्चुअल दूनिया से असली दुनिया में लाना चाहता हूँ और ज़मीनी हकीकत से अवगत कराना चाहता हूँ। नीतीश जी आज बेचैन थे। चुनावी हार को सामने देख मनोबल गिरा हुआ था। चेहरे पर झुँझलाहट, बौखलाहट साफ़ दिख रही थी।
नीतीश जी कृपा करके निम्नलिखित सवालों का जवाब दीजिये
आपके पंद्रह वर्षों के शासनकाल में प्रारंभिक और माध्यमिक विद्यालयों के कक्षाओं में ड्रॉप आउट रेट क्यों अधिक है और बढ़ती गई?
यूपीए सरकार के समय सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत राशि जो मिलती थी वो आपकी डबल इंजन की सरकार में क्यों कम हो गई? जो हजारों करोड़ रुपये यूपीए सरकार ने बिहार को दिए थे उससे आपके कार्यकाल मे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार क्यों नहीं हुआ? आखिर इतने पैसे ख़र्च करने के बावजूद भी हालात सुधर क्यों नहीं रहें?
आज भी नियोजित शिक्षकों को नियमित क्यों नहीं किया गया? आख़िर अब भी वो चरणबद्ध तरीके से अपनी माँगो के लिए धरना प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?
हमारी पार्टी की सरकार थी तो लालू जी ने बिहार में 7 विश्वविद्यालयों की स्थापना की, आपने अपने कार्यकाल में कितने नये विश्वविद्यालयों की स्थापना की?
आख़िर शिक्षकों के नियोजन में व्यापक भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा क्यों हुआ? एक रिपोर्ट के अनुसार 74 हजार से ज्यादा नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति से जुड़े दस्तावेज़ गायब हैं और उन पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। सरकार ने ऐसा क्यों किया? उनके दस्तावेज़ कहाँ हैं?
समान काम समान वेतन की उनकी वाजिब माँग को क्यों नहीं माना गया?
बिहार के प्राईमरी और सेकंडेरी स्कूलों को मिलाकर स्थायी शिक्षकों के दो लाख से अधिक पद रिक्त हैं। मगर सरकार अब भी इन पदों पर अस्थायी और संविदा पर ही बहाली करने को इच्छुक है। जब इन्हीं शिक्षकों की मदद से पूरे राज्य की शिक्षा व्यवस्था को चलना है तो फिर स्थायी और अस्थायी का झमेला क्यों?
राज्य में पुलिसकर्मियों के 50 हजार से अधिक पद रिक्त हैं। यह तब है जब बिहार में पुलिस पब्लिक का अनुपात न्यूनतम स्तर पर पहुंचा हुआ है, यहां प्रति एक लाख की आबादी पर सिर्फ 77 पुलिस कर्मी हैं तो आख़िर इनकी बहाली क्यों नहीं हो रही? लॉ एंड ऑर्डर की समस्या इसी कारण से बढ़ती जा रही।
जूनियर इंजीनियरों के भी 66 फीसदी पद खाली हैं। सरकार कहीं भी चिंतित नज़र नहीं आ रही। मैं समझता हूँ की अगर बिहार सरकार सिर्फ़ स्वीकृत पदों के हिसाब से जो पद ख़ाली पड़े हैं अगर उनपर ही नियुक्ति कर दे तोआधी बेरोज़गारी की समस्या दूर हो जाएगी।
स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल तो सबसे लचर है और यूँ कहें तो कोई व्यवस्था नाम की चीज ही नहीं है। आबादी के अनुपात में न तो डॉक्टर हैं और ना ही स्वास्थ्य केंद्र। ऐसी मरणासन्न स्तिथि क्यों?
किसी भी जिला अस्पताल में ऑपरेशन की व्यवस्था नहीं है।यहाँ तक कि कई जगहों पर तो एक्सरे मशीन तक कि सुविधा नहीं है। हमारे सरकारी अस्पताल सिर्फ़ रेफरल अस्पताल क्यों बन गए हैं?
अपने पंद्रह सालों में राज्य सरकार ने एक भी मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल की स्थापना क्यों नहीं की?
इलाज के लिए आज भी बिहार के बाहर हमारे राज्य वासियों को क्यों जाना पड़ता है और वहाँ की सरकार के साथ-साथ लोगों द्वारा क्यों प्रताड़ित होना पड़ता है? अगर आपने यहीं अस्पताल बनाये होते, सुविधाएं दीं होती तो बिहारियों को बाहर तंज़ तो नहीं झेलना पड़ता?
इस वक़्त बिहार के स्वास्थ्य विभाग में कुल स्वीकृत पदों के मुकाबले तीन चौथाई पद खाली हैं, यह स्थिति लम्बे समय से है। डॉक्टर हों या नर्स सभी पदों की हज़ारों पद ख़ाली पड़ी हुईं हैं। आख़िर क्यों?
बेरोजगारी, ग़रीबी, भुखमरी और पलायन आपके कार्यकाल में क्यों बढती गई?
नीति आयोग के सारे सूचकांकों पर बिहार साल दर साल क्यों पिछड़ता चला गया और अंतिम पायदान पर पहुंच गया?
आपके कार्यकाल में 58 घोटालों हुए, जिनकी कुल राशि 20 हजार करोड़ से ज्यादा है।आपकी सरकार ने क्यों नहीं जाँच करायी? इतनी बड़ी राशि से कम से कम 2 करोड़ बेरोजगार नौजवानों की नौकरी दी जा सकती थी, कई यूनिवर्सिटी और अत्याधुनिक अस्पताल बन सकते थे, लेकिन आपने अपनी जेबें भरीं। इसका जवाब दें।
सृजन घोटाले में अपनी पार्टी के नेताओं पर आपने क्यों नहीं कारवाई की?
भ्रष्ट नौकरशाहों पर आपने क्यों नहीं कारवाई की ?उल्टे आपने उनको पुरस्कृत करने का काम किया और रिटायरमेंट के बाद सेवा का विस्तार किया और विभिन्न आयोगों की कमान सौंपी।
सात निश्चय योजना में हमारी गठबंधन की सरकार से हटने के साथ ही व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार क्यों बढ़ गया? क्या किसी भी पंचायत में इसका क्रियान्वयन सही ढंग से हो पा रहा है?
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम जैसे वीभत्स कांड में संलिप्त अपने नेताओं को क्यों बचा रहें?
आपके कार्यकाल में दलितों पर अत्याचार क्यों बढ़ा? एनसीआरबी के अनुसार देश भर में दलितों पर सबसे ज्यादा क्राइम बिहार में हुए जिसका दर 40.7 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय औसत 21.8 प्रतिशत है।
मनरेगा के तहत आपने कितने लोगों को रोज़गार दिए?
प्रधानमंत्री द्वारा घोषित तथाकथित 1.65 लाख करोड़ के पैकेज का योजनावार और विभागवार ख़र्च कितना और कहाँ हुआ इसका आंकड़ा सार्वजनिक करें।
विगत 5 सालों में केंद्र सरकार से कितने पैसे मिले और कितनी योजनाएं मिलीं इसकी जानकारी साझा करें।
बिहार सबसे अधिक युवा आबादी वाला प्रदेश है। बिहार के युवाओं को नीतीश कुमार की रूढ़िवादी, बासी, उबाऊ और 15 वर्षों की घिसी पिटी नकारात्मक बातें नहीं चाहिए। बिहार के युवा इतिहास के बासी पन्ने नहीं बल्कि सुनहरा वर्तमान और भविष्य चाहते है। मुख्यमंत्री बताएँ कि उन्होंने 15 वर्षों में रोज़गार क्यों नहीं दिया? बिहार में उद्योग-धंधे क्यों नहीं लगाए? बिहार में नियमित बहाली क्यों नहीं की?
मुख्यमंत्री बताएँ उन्होंने 2013, 2017 में बार-बार जनादेश का अपमान क्यों किया? व्यक्तिगत फ़ायदे के सिवाय उनके इन कृत्यों से बिहार को क्या फ़ायदा हुआ?? इसकी विस्तृत जानकारी बिहार को दें?
बिहार जानना चाहता है कि नीतीश कुमार की नीति, नियम, नियति, सिद्धांत और विचार क्या है क्योंकि बिहार का कोई ऐसा दल नहीं जिससे अपने स्वार्थ के चलते इन्होंने समझौता कर विश्वासघात नहीं किया हो?
इन सभी सवालों का जवाब माँग रहा बिहार
कहाँ और कब तक भागेंगे आप नीतीश कुमार?
-तेजस्वी यादव (नेता प्रतिपक्ष, बिहार)