योगी आदित्यनाथ जी की सरकार में निर्माण कार्यों में लगातार हो रहे भ्रष्टाचार ने ली शमशान घाट में 24 लोगों की जान

गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश। जनपद गाजियाबाद के मुरादनगर बंबा रोड के श्मशान घाट पर 3 जनवरी 2021 रविवार दिन में करीब 11.30 बजे दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। फल विक्रेता जयराम के अंतिम संस्कार के बाद दो मिनट का मौन रखने के लिए एकत्र हुए 60 लोगों के ऊपर छत गिरने से चीख पुकार मच गई। अचानक हुए इस हादसे से मृतक 24 लोगों में से अधिकांश को हिलना तो दूर सिसकी लेने तक समय नहीं मिल सका। घायलों की चीख पुकार और मौके पर ही दम तोड़ चुके लोगों की हालत देख लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। जब चीख पुकार मची तो आसपास के लोग बचाव के लिए दौड़ कर बिना किसी औजार के ही मलबे के नीचे दबे लोगों को बचाने में जुट गए और छह घायलों को बाहर निकाल लिया। दिल दहलाने वाली घटना में मलबा हटते ही उसके नीचे दबे लोगों के शव व घायलों के लहुलुहान शरीर देख चीख-पुकार और तेज हो गई। घटना की सूचना मिलने के आधा घंटे के अंदर पुलिस और प्रशासनिक अमले के पहुंचने से पहले ही स्थानीय लोग मलबे से करीब 16 लोगों को बाहर निकाल चुके थे। मलबे के नीचे दबे कई लोगों के हाथ और शरीर का का हिस्सा दिख रहा था। जेसीबी की मदद से गिरे मलबे को हटाकर सबसे पहले ऐसे लोगों को बाहर निकाला गया जो दिखाई दे रहे थे। 

  करीब 12 बजे डीएम अजय शंकर पांडेय और एसएसपी कलानिधि नैथानी ने राहत-बचाव अभियान की कमान संभाली। स्थानीय लोगों के साथ पुलिस, अग्निशमन विभाग की टीम ने जेसीबी व अन्य बड़े उपकरणों की मदद से एक-एक कर लोगों को मलबे से बाहर निकाला। प्रशासन की ओर से करीब साढ़े बाहर बजे के करीब एनडीआरएफ की टीम को हादसे की सूचना दी गई। एनडीआरएफ की टीम ने पहुंचते ही राहत-बचाव ऑपरेशन की कमान संभाली।

   मुरादनगर के श्मशान घाट परिसर में गैलरी की छत गिर जाने के कारण 24 लोगों की मौत हो गई है। एक फल विक्रेता की अंत्येष्टि में 70 के लगभग लोग आए थे। सुबह से हो रही बारिश के कारण अचानक लिंटर गिर गया, जिसके नीचे करीब 40 लोग दब गए। दर्दनाक हादसे में 24 लोगों की मौत की हो गई है। हादसे का शिकार हुए सभी लोग मुरादनगर के डिफेंस कॉलोनी निवासी फल विक्रेता जयराम (उम्र करीब-65) की अंत्येष्टि में आए थे। ये सभी लोग अंत्येष्टि के बाद गेट से सटी गैलरी में मौन धारण करने के लिए जमा हुए थे। इसी दौरान ये हादसा हो गया।

    बताया जा रहा है कि ढाई माह पहले झोपड़ी नुमा गैलरी का निर्माण कराया गया था। आरोप है कि सरिया को छोड़ निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया। गैलरी ढहते ही निर्माण सामग्री चूरे में तब्दील हो गई।  

प्रशासन ने नगर पालिका ईओ से निर्माण के मामले में तत्काल पूरी रिपोर्ट मांगी है। उधर शासन ने भी रिपोर्ट तलब की है।

   जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे ने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़कर 24 हो गई है जबकि 14 लोग घायल हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मंडल आयुक्त मेरठ व  एडीजी मेरठ मामले की जांच कर रहे हैं। उनकी जांच रिपोर्ट आने के बाद मामले में एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। दोनों ही अधिकारी मुरादनगर में पहुंच गये। इस हादसे में टेंडर से लेकर अन्य सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। हादसे के बाद सभी ओर हाहाकार मचा गया। 

    शासन के निर्देश पर मंडलायुक्त और आईजी द्वारा की गई समीक्षा के बाद नगर पालिका के ईओ, जेई, सुपरवाइजर और ठेकेदार पर मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई है। शासन के निर्देश पर मामले में रविवार रात मंडलायुक्त अनीता सी. मेश्राम और पुलिस महानिरीक्षक प्रवीण कुमार ने मोदीनगर तहसील में समीक्षा बैठक ली। बैठक में डीएम व एसएसपी से मामले की विस्तृत रिपोर्ट ली गई। मंडलायुक्त के निर्देश पर मुरादनगर कोतवाली पुलिस ने नगर पालिका की ईओ निहारिका सिंह, जेई चंद्रपाल, सुपरवाइजर आशीष, ठेकेदार अजय त्यागी के साथ अन्य पर गैर इरादतन हत्या, भ्रष्टाचार, काम में लापरवाही सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। 

  तहरीर में ईओ सहित अन्य अधिकारियों और ठेकेदार पर मिलीभगत कर निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है। घटिया सामग्री को ही हादसे की प्रमुख कारण बताया गया है। तहरीर में अधिकारियों और ठेकेदार को हादसे और हादसे में हुई मौत का जिम्मेदार बताया गया है। साथ ही मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।

  वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने बताया कि मृतक जयराम के बेटे की तहरीर पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। मामले में मुरादनगर कोतवाली पुलिस ने दो से तीन लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

   श्मशान में हादसा होते ही आसपास मौजूद लोग जाति-धर्म से ऊपर उठकर मलबे मेें दबे लोगों की जिंदगी को बचाने के लिए जुट गए। हादसे की सूचना मिलते ही समीर, शादाब और तनवीर हथौड़ी-छेनी लेकर श्मशान में पहुंच गए और चार लोगों को जिंदा निकाल लिया।

बंबा रोड श्मशान के पास चर्च कॉलोनी में रहने वाले मोहम्मद समीर श्मशान के पास ही कुछ काम कर रहे थे, छत गिरने की आवाज आई तो वह उधर दौड़ पड़े। देखा कि लोग मलबे नीचे दबे हुए हैं। उन्होंने शोर मचाया और अन्य लोगों को बुला लिया। वह खुद भी हथौड़ी और छैनी लेकर दौड़े और उनके साथ मोहम्मद तनवीर व शादाब भी आ गए। धीरे-धीरे लोगों की संख्या बढ़ती चली गई। आदर्श कॉलोनी निवासी मोहम्मद तनवीर का कहना है पहले समझ में नहीं आ रहा था कि करना क्या है, लेकिन ऊपर वाला हिम्मत देता चला गया और हम लोगों को बाहर निकालते रहे। 

    शादाब ने बताया खून देखकर मन विचलित हो रहा था, दिल रो रहा था। बस उम्मीद थी कि लोगों को बचाकर अस्पताल तक पहुंचा दें। कई लोग मौके पर ही दम तोड़ चुके थे। उन्हें एंबुलेंस के जरिये अस्पताल भेजने में मदद की।

    हादसे में मलबे में दबे लोगों को निकालकर अस्पताल तक पहुंचाने के लिए स्पेशल कॉरिडोर बनाया गया। पुलिस ने एंबुलेंस के लिए दिल्ली-मेरठ हाईवे की एक लेन को खाली करा दिया। इसके चलते महज 18 से 20 मिनट में मुरादनगर से घायलों को लेकर यह एंबुलेंस एमएमजी, यशोदा और सर्वोदय अस्पताल तक पहुंची। दिल्ली-मेरठ हाईवे पर रैपिड रेल प्रोजेक्ट निर्माण के चलते अक्सर जाम की स्थिति रहती है। मुरादनगर से गाजियाबाद तक का सफर करीब 40 से 45 मिनट में तय होता है। जाम लंबा हो तो यह सफर भी और लंबा हो जाता है। यही वजह रही कि मुरादनगर में हादसे में घायल लोगों को जल्द से जल्द इलाज मिल सके इसके लिए ट्रैफिक पुलिस ने स्पेशल कॉरिडोर बनाया। मुरादनगर से गाजियाबाद तक हाईवे की एक लेन को खाली करा दिया गया। इस लेन को एंबुलेंस के लिए रिजर्व करा दिया गया। हाईवे की दोनों लेन का सामान्य ट्रैफिक एक ही लेन से चलाया गया। एसपी ट्रैफिक रामानंद कुशवाहा ने बताया कि मुरादनगर से एंबुलेंस के रवाना होते ही गाजियाबाद तक का ट्रैफिक एक लेन पर चला दिया जाता था। उन्होंने बताया कि रास्ते में पड़ने वाले चौराहों-तिराहों का ट्रैफिक एंबुलेंस के आने से पहले ही रोक दिया जाता था। इसकी वजह से एंबुलेंस को अस्पताल तक पहुंचने में आधे से भी कम समय लगा। पहले से चल रहे निर्माण कार्य के चलते संकुचित हुए दिल्ली-मेरठ हाईवे को वनवे किया गया तो गाजियाबाद से लेकर मेरठ तक भीषण जाम लग गया। कई किमी लंबे लगे जाम में हजारों वाहन फंस गए। अधिकारियों को भी घटनास्थल पर पहुंचने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। मंडलायुक्त और आईजी को निकालने में पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। पुलिस ने किसी तरह दूसरी साइड और वनवे कराकर अधिकारियों को निकाला। पुलिस ने मुरादनगर, दुहाई, गंगनहर, मोदीनगर और मेरठ के मोहिउददीनपुर में सिवाल मार्ग और खरखौदा मार्ग आदि सहित कई स्थानों पर रूट डायवर्जन किया। मगर लोगों को जाम से कोई राहत नहीं मिली। देर रात तक वाहन हाईवे पर रेंगते रहे।

   मुरादनगर के इस दर्दनाक हादसे में अंतिम संस्कार के बाद लोग गलियारे में एक स्थान पर दो मिनट के मौन और शांति पाठ के लिए एकत्र हुए तो अचानक 15 दिन पहले बनी छत भरभरा कर गिर गई। इस छत के नीचे मृतक के परिजन, सगे-संबंधियों और अंतिम संस्कार में शामिल होने आए लोगों में से 24 की जान चली गई, 14 लोग अभी भी जिंदगी और मौत के बीच ‘जंग’ लड़ रहे हैं। अगर पांच मिनट और छत न गिरती तो 24 लोगों की जान बच जाती। फल विक्रेता जयराम के अंतिम संस्कार में शामिल अधिकांश लोग क्रिया के दौरान चिता के आसपास ही थे। चिता तैयार करने से लेकर मुखाग्नि देने की प्रक्रिया में करीब पौन घंटा लगा। इसके बाद लोगों के वापस जाने से पहले दो मिनट का मौन और शांति पाठ करने के लिए लोग गलियारे में एकत्र हुए। आमतौर पर यह प्रक्रिया भी चिता के पास ही संपन्न हो जाती है, लेकिन बारिश होने की वजह से लोग गलियारे में इकट्ठा हो गए थे। दो मिनट का मौन रखने के बाद शांति पाठ किया गया और अस्थियां चुनने का समय तय किया जा रहा था। इसके बाद लोग घरों को लौटने ही वाले थे कि इससे पहले ही छत भरभरा कर गिर गई और पलक झपकते ही लोग मलबे के नीचे दब गए। गलियारे के बाहरी हिस्से पर खड़े लोग तो बच गए, लेकिन बीच में खड़े लोगों को बचने का मौका भी न मिल पाया। 

   हादसे में मरने वालों के शव एमएमजी अस्पताल में उतरते देख हर किसी का दिल कांप रहा था। जिला एमएमजी अस्पताल में मेडिकल स्टाफ को तत्काल बुला लिया गया। इमरजेंसी में डॉक्टर घायलों के आने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन एंबुलेंस आनी शुरू हुई तो इनमें से 24 लोग दम तोड़ चुके थे। पहले कुछ शव आईटीएस के सूर्या अस्पताल ले जाए गए, लेकिन वहां प्रबंधन ने जगह न होने की बात कही। आननफानन एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी के पीछे बने बर्नवार्ड को अस्थाई मोर्चरी में तब्दील कर दिया। इमरजेंसी के सामने शव उतारकर स्ट्रेचर से मोर्चरी तक पहुंचाए गए। सुबह लगभग 11 बजे मुरादनगर हादसे की सूचना मिली थी। इसके बाद अस्पताल में घायलों के उपचार की व्यवस्था करने के निर्देश प्रशासन की ओर से दिए गए। अस्पताल के सभी सीनियर डॉक्टरों को तुरंत अस्पताल पहुंचने के निर्देश दिए गए। इनमें फिजीशियन, आर्थोपेडिक सर्जन, कार्डियोलॉजिस्ट और ईएमओ इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर शामिल थे। इसके अलावा इमरजेंसी वॉर्ड में अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती की गई, जिससे घायलों के उपचार में किसी तरह की परेशानी ना हो। लगभग एक बजे से अस्पताल में घायलों के आने का सिलसिला शुरू हुआ जो शाम पांच बजे तक चलता रहा। चार शव सीएचसी मुरादनगर भेजे गए। बाद में सभी शव एमएमजी अस्पताल ले जाकर वहां बर्न वार्ड में बनाई गई अस्थाई मोर्चरी में रखे गए। पोस्टमार्टम करने के लिए चार डॉक्टरों की टीम लगाई गई। डीएम अजयशंकर पांडेय ने डॉक्टरों की टीम बढ़ाने के लिए कहा, लेकिन सीएमओ डा. एनके गुप्ता ने बताया कि एक बार में एक ही शव रखने के लिए प्लेटफार्म बना है। इसलिए डॉक्टरों की टीम बढ़ाने से कोई फायदा नहीं है, इसके बाद चार डॉक्टर लगाए गए। शाम को सात बजे पहले शव का पोस्टमार्टम किया गया। इमरजेंसी में पहुंचे वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील कात्याल का कहना है कि 59 साल की उम्र में इस तरह का हादसा नहीं देखा। उन्होंने कहा इलाज के दौरान सैकड़ों लोगों का पोस्टमार्टम किया, हजारों का इलाज किया, इसमें बहुत की मौत भी हुई, लेकिन इस तरह का मंजर जीवन में पहली बार देखा। इमरजेंसी के फार्मासिस्ट एसपी वर्मा का कहना है कि 29 साल की सर्विस में बहुत बीमार और शव अस्पताल में आए, लेकिन इस हादसे को देखकर मृतकों का नाम पता लिखने में भी हाथ कांप रहा है। अस्पताल में शव उतरने के बाद सबसे बड़ी समस्या थी कि पहचान न होने से पंचनामा कैसे भरा जाए। परिजनों के पहुंचने पर शाम को पंचनामा शुरू किया गया। बर्नवार्ड में बनी मोर्चरी में पहुंचे परिजन बेसुध होकर अपनों को तलाशने में लगे थे। स्थिति यह थी कि कई शव से कपड़ा हटाकर देखते थे तब अपने मिलते थे।

   पंचनामा होने के बाद अलग-अलग रखे गए शवों को पहचानकर तीन-तीन, चार-चार की संख्या एंबुलेंस में लादकर पी.एम. हाउस ले जाया गया। जयराम की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए घर पर 125 से अधिक लोग जुटे थे। रविवार होने के कारण बड़ी संख्या में लोग अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पहुंचे, लेकिन रविवार को सुबह साढ़े दस बजे के करीब शवयात्रा के शुरू होने के साथ ही कई लोग श्मशान घाट नहीं पहुंचे। ऐसे में श्मशान घाट में पहुंचने वाले लोगों की संख्या 70 के करीब रह गई। बारिश के कारण हादसे के राहत-बचाव अभियान में भी कई बार रुकावट आई। तेज बारिश के चलते कई बार राहत-बचाव अभियान में रुकावट भी हुई। अभियान में जेसीबी के साथ बड़ी मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए प्रशासन ने एनसीआरटीसी की मदद ली। रैपिड रेल प्रोजेक्ट में एलएंडटी कंपनी की द्वारा कार्य किया जा रहा है। ऐसे में रैपिड प्रोजेक्ट में लगी हाईड्रोलिक मशीनों को बुलाकर अभियान में इस्तेमाल किया गया। अगर रैपिड रेल कॉरिडोर की हाईड्रोलिक मशीन नहीं मिलती तो जिला प्रशासन के साथ एनडीआरएफ का ऑपरेशन लंबा चलता। हादसे में ढही छत काफी भारी थी। ऐसे में पहले जेसीबी से छत का मलबा हटाने में सफलता नहीं मिली। फिर बाद में रैपिड कॉरिडोर की हाईड्रोलिक मशीनों की मदद से भारी मलबे को हटाया गया।

  मौत के तांडव पर एक तरफ आसमान रो रहा था तो दूसरी तरफ उखलारसी की संगम कॉलोनी में आंसुओं की बाढ़ आ गई। कोई मां अपने बेटे की अर्थी पर छाती पीट रही थी तो कोई बहन भाई की लाश को देख गश खाकर गिर पड़ी। बदहवाश बच्चे घंटों तक सिसकते रहे। यह मंजर जिसने भी देखा आंखें नम हो गईं। एक ही मोहल्ले में आठ लोगों की लाशें पहुंचीं तो हर कोई फफक पड़ा। मोहल्ले का सन्नाटा महिलाओं की चीत्कार से टूट रहा था। लगभग गांव के हर व्यक्ति की आंख में आंसू था। हर व्यक्ति की जुबान पर एक ही बात थी, भगवान यह क्या हो गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस कॉलोनी में लोगों में आपसी भाईचारा है। लोग एक दूसरे के सुख दुख में साथ रहते हैं। किसी ने नहीं सोचा था कि रविवार का दिन कॉलोनी वालों के लिए काला दिन बन जाएगा। हर घर से रोने की आवाजें आ रही थीं। हादसे में जान गंवाने वाले ओमकार, नीरज, सुनील, ओमप्रकाश, जोगेंद्र, सतीश राठौर, दिग्विजय सोनी के घर आसपास ही हैं। लोग एक दूसरे को सांत्वना दे रहे थे। संगम कॉलोनी के लोगों का कहना है कि यह दर्द अब जिंदगी भर झेलना पड़ेगा। जो रिश्तेदार या मिलने वाले जयराम के अंत्येष्टि में आए और यहां उनको जो दर्द मिला है, उसे कोई नहीं भूल पाएगा।

   ऐसी ही घटिया पुल निर्माण घटना ने मोदी जी के संसदीय क्षेत्र में पुल के गार्डर गिरने से लोगों मौत के मामले में पहले भी हो चुकी है।

   गाजियाबाद के इस शमशान घाट में सरकार द्वारा 50 लाख का निर्माण कार्य कराये जाने की जानकारी मिली है, और 24 मृतकों को 2 लाख के हिसाब से योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रति मृतक मुआवजा घोषित किया है। यानी 24 लाख लोगों की जान की कीमत सरकार की नजर में केवल 48 लाख ही है। यह एक सबाल खड़ा करता है?? 

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