प्रयागराज, उत्तर प्रदेश। आज से एक साल पहले की इस खबर को ध्यान से पढ़ें। क्योंकि आज ही के दिन महाराजा निषाद राज की धरती पर भाजपा की योगी आदित्यनाथ की सरकार की पुलिस ने निषादों की नावों को तोड़ा था।
निषादों की ललकार* !
*2022 में नहीं बनेगी उत्तर प्रदेश में, भाजपा की सरकार!!*
*जिसने हमारी नावें तोड़ीं!*
*जिसने 22 दिसम्बर 2016 को अखिलेश यादव सरकार द्वारा लागू किये गए परिभाषित आरक्षण को लागू नहीं करके, धोखा दिया!*
*जिसने वीरांगना फूलन देवी जी मूर्तियों को नहीं लगने दिया!!*
*जिसने महाराज गुह्यराज निषाद राज और महर्षि कश्यप जी की छुट्टी रद्द कीं!*
*जिसने मछुआ आवास के लिए मिलने वाले 3.05 लाख को 1.20 लाख कर दिया!*
*जिसने बालू खनन का अधिकार छीनकर हमको बेरोजगार बनाया!*
*हम निषाद बिन्द कश्यप बाथम रायकवार मल्लाह केवट कहार माझी धीवर धुरिया गुड़िया तुरैहा मझबार बेलदार गौंड जातियों के लोग कसम खाते हुए भीषण प्रतिज्ञा करते हैं कि 2022 में उत्तर प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए वोट देंगे।*
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भाजपा की उल्टी गिनती शुरू: निषादों पर हुये प्रशासनिक अत्याचार के विरोध में निषाद कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में भाजपा से दिया सामूहिक रूप से त्यागपत्र।
5 फरवरी 2021 को भारतीय जनता पार्टी से जुड़े निषाद कार्यकर्ताओं की एक आपातकालीन बैठक मीरापुर, ककरहा घाट पर हुई, जिसमें 4 फरवरी को यमुनापार में जिला प्रशासन द्वारा गरीब नाविक मजदूरों पर किये गए अमानवीय अत्याचार के विरोध में सामूहिक रूप से इस्तीफ़ा दे दिया ! और आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए कसम खाई।
निषाद समय-समय पर भाजपा की चुनावी नैया को पार लगाने में अपना अतुलनीय योगदान देते रहे हैं, लेकिन भाजपा की सरकार बनते ही निषाद समाज को उपेक्षित कर दिया गया। इतना ही नहीं एनजीटी की आड़ में निषादों के पुश्तैनी धन्धे, यानी नदियों से नावों द्वारा बालू खनन करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया, जिससे कि लाखों निषाद परिवार आज भुखमरी के कगार पर पहुँच गये हैं।
इस सम्बंध में कई बार उच्च स्तर पर शासन-प्रशासन को पत्र लिखा गया, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। बालू खनन को लेकर वर्तमान सरकार द्वारा कोई ठोस नीति न बनने के कारण सम्पूर्ण निषाद समाज बेरोजगारी का दंश झेल रहा है। ऐसे में पुलिस द्वारा अवैध वसूली और उत्पीड़न के शिकार निषाद समाज के लोग भाजपा सरकार से बहुत खफा हैं और आक्रोशित भी हैं, इस स्थिति में निषाद समाज के बीच जाकर भाजपा के लिए वोट माँगना हमारे लिए बहुत ही मुश्किल भरा काम होगा।
हद तो तब हो गई जब जिला प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारियों ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए घाटों पर छापमारी की और निर्दोष नाविकों की नावों को जेसीबी से तोड़ दोय गया तथा समाज के बूढ़े, बच्चों और महिलाओं पर लाठीचार्ज किया जिससे पूरा निषाद समाज आहत हुआ है।
गरीब नाविक मजदूरों पर प्रशासन द्वारा किया गया यह अत्याचार नाकाबिले बर्दाश्त है। बैठक में सभी कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में पीड़ित नाविकों को उचित मुआवजा दिलाने व दोषी पुलिसकर्मियों को दण्डित किये जाने तथा निर्दोष नाविक मजदूरों पर लगाये गए सभी फर्जी मुकदमों को तत्काल हटाने की माँग की। निषादों ने सरकार से वैध रूप से बालू खनन करने की ठोस नीति बनाने की अपील की, जिसके तहत पट्टा प्रथा को समाप्त करके नाविकों को बालू खनन करने का लाइसेंस जारी कर देना चाहिये, जिससे कि निषादों की मूलभूत समस्याओं का स्थायी समाधान हो सके। निषादों ने कहा हम लोग गाँव - गाँव मे जाकर निषादों को एकजुट करेंगे और झूठे प्रलोभन देने वाले नेताओं का बहिष्कार करेंगे।
प्रयागराज में निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार निषाद पर फूटा निषादों का गुस्सा, खदेड़ा गांव से
बृहस्पतिवार 4 फरवरी 2021 को अवैध खनन के नाम पर की गई पुलिस कार्रवाई और नाविकों की नाव तोड़े जाने तथा गरीब निषाद महिला पुरषों की पिटाई से आक्रोशित बालू मजदूर निषादों का गुस्सा शुक्रवार को फूट पड़ा। सैकड़ों की संख्या में लामबंद मजदूर गांव पहुंचे। मजदूरों ने निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ संजय निषाद और उनके समर्थकों तथा भाजपा नेता पीयूष रंजन निषाद को गांव से खदेड़ दिया।
निषादों ने गांव में रैली और सभा कर प्रशासनिक कार्रवाई का विरोध करते हुए आंदोलन की चेतवानी दी।
बृहस्पतिवार को दोपहर एडीएम प्रशाषन श्री विजय शंकर दुबे के नेतृत्व में भारी पुलिस बल स्टीमर व कुत्ते के साथ ठाकुरी का पूरा,बसवार घाट पर पुलिस ने बालू मजदूर निषादों पर हमला कर 30 लोगो को घायल कर दर्जनों नवें तोड़ी डालीं। प्रयागराज के प्रशाषनिक अमला में एडीएम प्रशाषन श्री विजय शंकर दुबे, एसपी यमुनापार, क्षेत्राधिकारी करछना व कई थानों की पुलिस स्टीमर, कुत्ते के साथ पैदल ठाकुरी का पूरा घाट पर पड़ी पुरानी बालू को जेसीबी से यमुना नदी में ढकेल कर, बसवार घाट पर बंधी नवों को जेसीबी से तोड़ने पर गांव वालो ने विरोध किया तो पुलिस ने लाठी चार्ज कर 30 लोगो को घायल कर दिया।
प्रयागराज में बालू मजदूरों का लंबे समय से आंदोलन चल रहा है लगातार मांग कर रहे हैं कि 24 जून 2019 को को उत्तर प्रदेश सरकार ने बालू खनन में नावों को प्रतिबंधित कर देने से लाखों निषाद मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट व उत्तर प्रदेश सरकार के कई शासनादेश हैं कि नदियों में बालू का खनन बीच धारा से होनी चाहिए जिससे तटबंध व तटबंध के किनारे जीवजंतु की सुरक्षित रहें। लम्बे विरोध के बावजूद प्रयागराज प्रशाषन समस्या को हल करने के बजाय आरएसएस और भाजपा के नेता प्रशाशन से मिलकर बालू खनन का कार्य प्रारम्भ कर अवैध वसूली करते रहे हैं।
प्रयागराज प्रशाषन के इस हमले के विरोध से मजदूरों में भारी गुस्सा है।
बृहस्पतिवार की दोपहर बाद एडीएम प्रशासन विजय शंकर द्विवेदी की अगुवाई में नैनी कोतवाली के मोहब्बतगंज, ठकुरी का पुरवा और घूरपुर थाना क्षेत्र के बसवार गांव में यमुना घाटों पर पहुंची पुलिस टीम ने घाट पर डंप की गई हजारों टन बालू जेसीबी मशीन से नदी में फेंकवा दी थी और निषादों की कई नावों को तोड़कर यमुना नदी में डुबो दिया था। और निषाद महिलाओं और पुरुषों को बुरी तरह से मारा पीटा गया था।
यह योगी आदित्यनाथ जी के राम राज्य में प्रयागराज की धरती पर बड़ी संख्या में निषादों की नवें तोड़ कर डुबो दीं नदी में। जो निषाद समाज के दलालों के मुंह पर तमाचा है। योगी आदित्यनाथ नाथ जी सरकार में आए दिन निषादों की रोजी रोटी पर पुलिस की पड़ती रही है मार। जिस प्रयागराज की धारती पर नाव से निषाद ने श्री राम को पार किया था। 4 फरवरी को उसी प्रयागराज की धरती पर तोड़ी गईं बड़ी संख्या में गरीब निषादों की नवें। यह केवल नावों को ही नहीं तोड़ा गया है, निषादों के इतिहास को तोड़ा गया है। निषादों के भविष्य को नष्ट किया गया है। इसी नाव के जरिए आए दिन नदियों में आत्महत्या करने वाले लोगों को निषादों द्वारा बचाया जाता है। पुल से कूदने वाले लोगों से बचाया जाता है। नहाने आए श्रद्धालुओं को बचाया जाता है। बृहस्पतिवार को इसी नाव को योगी सरकार द्वारा तोड़ने के बाद डुबोकर पूरे निषाद समाज को डुबोने का कार्य किया गया है। उस प्रयागराज की धरती पर, उन्हीं श्री राम के नाम के सहारे राज करने वाली भाजपा पार्टी की योगी आदित्यनाथ जी की सरकार में। यह घिनौना कार्य चौरी चौरा काण्ड के माध्यम से देश की खातिर जान गंवाने वाले केवटों की कुर्बानी के दिन किया गया है।
निषादों के साथ वर्तमान भाजपा की योगी आदित्यनाथजी सरकार ने बहुत ही घिनौना कार्य किया है यह, इसका परिणाम आने वाले समय में भुगतना पड़ेगा इस सरकार को।
ये गरीब निषादों की नाव नहीं टूटी हैं, निषादों का सरकार पर से विश्वाश टूटा है। आज दिनांक 4 फरवरी 2021 निषादों के लिए किसी आपात काल से कम नहीं है। जहां एक तरफ निषाद समाज कई महीनों से भुखमरी की हालात से गुजर रहा है वहीं दूसरी तरफ प्रयागराज प्रशाशन द्वारा गरीब लाचार निषादों के साथ दिल को झकझोर देने वाली घटना को अंजाम दिया है। प्रयागराज अंतर्गत ठाकुरी का पूरा, बसवार में आज प्रयागराज प्रशाशन द्वारा जेसीबी मशीन द्वारा उनकी नाव को चकना चूर कर दिया गया और यमुना नदी में डूबो दिया गया। यह निषादों के लिए बहुत दयनीय स्थिति है। एक नाव बनाने में लगभग एक लाख से डेढ़ लाख लगते हैं। अब समस्या इस बात की है कि सरकार निषाद समाज को किस हालत में देखना चाहती है। पहले उनके सभी कार्यों को रोका जा चुका है, अब उनको अलग से प्रताड़ित करना संविधान के खिलाफ है। सरकार और शाशन प्रशाशन विनम्र निवेदन है कि जिन जिन गरीब लोगों की नाव छतिग्रस्ट की गई है उनको मुवावजा दिलाएं, अन्यथा वक्त सब का बदलता है निषादों का भी बदलेगा। निषाद समाज से मेरा निवेदन है कि अपनी रोजी रोटी को पाना है तो संविधान के अनुसार चलें, किसी के बहकावे में न आकर अपने हक और अधिकार के लिए स्वयं खड़े हों। क्योंकि निषादों ने सभी का साथ दिया और सभी ने छल किया। अभी भी वक्त है समय रहते अपनी हक और अधिकार की लड़ाई में शामिल हों।
एकलव्य मानवसंदेश परिवार प्रयागराज पुलिस द्वारा बालू मजदूर निषादों पर लाठीचार्ज कर घायल करने व नाव तोड़ने की कड़ी निन्दा के साथ मांग करता है कि बालू मजदूरों पर लाठी चार्ज करने व नाव तोड़ने के आरोप में दोषियों को तत्काल सस्पेंड कर कार्यवाही की जाय, एवं बालू निषादों की क्षतिग्रस्ट नावों का मुवावजादिया जाय।
हम समाज के मठाधीशों को बताना चाहते हैं कि हो सके तो जिनकी नाव तोड़ी गई है उनकी नाव सरकार से वापस दिलाने की कोशिश करें।
पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने एक फोटो शेयर करते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है- प्रयागराज में भाजपा सरकार ने निषाद समाज की नावें तोड़कर उनके पेट पर लात मारी है।
भाजपा सरकार तत्काल निषाद समाज से माफ़ी माँगे और रोज़गार के लिए नयी नावें दे।
उप्र सरकार ने डायल 100 जैसी सुविधाएं निष्क्रिय कर दी हैं व ठोको नीति के तहत अब ग़रीबों तक को निशाना बनाया जा रहा है।
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